श्रीरामशरणम् झाबुआ

॥ श्री राम ॥
सत्संग परिचय
आध्यात्मिक शांति, प्रेम एवं अनुशासन का केंद्र
'श्री राम शरणम् '
मुख्यालय - 'श्री राम शरणम् '
८, ए, रिंग रोड, लाजपत नगर - ४, नई दिल्ली - ११००२४


आज के भौतिक युग मे मानसिक असंतोष एवं तनाव ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन चुके हे रहने और खाने की उधेड़बुन इंसान को स्वकेंद्रित कर परमार्थ से दूर करती जा रही है। सेवा, त्याग, समर्पण, परमार्थ, अनुशासन, और प्रेम आदि मानवीय गुण अप्रासंगिक होते जा रहे है. हिंसा, घृणा, विद्वेष मानव जीवन मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है. पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति से प्रभावित मानव, भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं यहा की आत्मा में बेस परमात्मा से कोसो दूर होता जा रहा है.
ऐसी स्थिति में परम संत श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज के आध्यात्मिक संस्था के सत्संग स्थल उक्त वर्णित तमाम विषमताओं को दूर कर राम-नाम के माध्यम से मानव मात्र में अध्यात्म एवं प्रेम का जो संचार कर रहे है. वह जन-कल्याणकारी तो है ही साथ ही उससे देश का भी उत्थान होगा.

इसके अतिरिक्त ये सत्संग आश्रम ऐसे पावन- पुण्य स्थल है. जहा आध्यात्म और प्रेम की अनूठी गंगा बहती है जहा एक और यह संस्था आध्यात्मिक है. वही दूसरी और सामान्य जीवन के शिष्टाचार और अनुशासन का पाठ पढाती है. इसके साथ ही इन सत्संग स्थलों में प्रवेश करते ही ऐसा प्रतीत होता है मानो अदृस्य तरंगे समस्त मानसिक तनाव का हरण कर रही है.
वर्तमान समय में आध्यात्मिक छेत्र में भी ठेकेदारी प्रथा का प्रचलन है एक दूसरे को ठोसने की प्रवृतियाँ विध्यमान है पैसा, वैभव, दिखावा और व्यवसायिकता इस क्षेत्र में भी प्रवेश कर गए है. अधिकांश स्थान दान-दक्सिणा, भेट, चढ़ावा, दर्शन, भंडारा आदि तक ही सिमित रह गए है. जान सामान्य इन चक्करो में फसकर रह जाता है. इससे आगे बढ़ता ही नहीं है. इस कारण लोगो को श्रेष्ठ संत ओर विशुद्ध आध्यात्मिक छेत्र ढूढने पर भी नहीं मिल पाते है. ऐसे समय में शुद्ध आध्यात्मिक ज्ञान की पिपासा रखने वालो के लिए यह सुअवसर हैं।
यह सत्संग आडम्बर-विहीन सत्संग है। इसमे व्यक्ति से कुछ भी ( दान-दक्षिणा, भेट, चढ़ावा इत्यादि ) नहीं लिया जाता हैं। व्यक्ति केवल अपने लाभ ( आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने हेतु ) के लिए आता है और पूर्णतः शांति प्राप्त कर तनाव-रहित होकर, आनंदातिरेक की अनुभूति से परिपूर्ण होकर वापस जाता हैं।

. अमृतवाणी संकीर्तन
२. श्री भक्ति-प्रकाश एवं श्रीमदभगवतगीता का पाठ
३. पाठ श्री वाल्मीकीय रामायण सार
४. संत कवियों की रचनाओ का गायन अर्थात भजन, कीर्तन
५. ध्यान
६. साधना सत्संगों का आयोजन
७. अखंड राम नाम जप साधना
८. प्रवचन
९. नाम दीक्षा

समयबद्धता :-
* सत्संग नियत समय पर प्रारम्भ होकर नियत समय पर समाप्त होता हैं।


अनुशासन :-
* यहाँ सभी साधक पंक्तिबद्ध व शांत-भाव से बैठते हैं। जूते चप्पल भी पंक्ति में रखे जाते हैं। पूर्ण अनुशासन व निःस्वार्थ सेवा की भावना से सभी कार्य सम्पन्न किये जाते


आडम्बर विहीनता :-
* सत्संग में कोई आडम्बर ( दिखावा ) नहीं हैं।
* कोई भेट या चढ़ावा नहीं लिया जाता हैं।
* प्रसाद-वितरण व पुष्प-सज्जा नहीं की जाती हैं।
* पैर छूना-छुलाना वर्जित हैं।
* कोई मत या संप्रदाय नहीं हैं।